जब मैं छोटाथा, एक दिन मैं दुकान मैं गुम गया. मैं अपनी मॅ और पापा के साथ मौल गया था. मैं पाँच साल का था. मुझ को याद है की हम एक दुकान में थे और दुकान में बहुत सारे टीवी थे. यह दुकान के एलेक्ट्रॉनिक्स सेक्षन था. मुझ को याद नही है की टीवी पर क्या चल रहा था और मैं क्या देख रहा था. मैं सिर्फ़ टीवी देख रहा था. मेरी मॅ मेरे पास थी. वह मुझ को पूच रही थी की मेरे पापा कहाँ हैं. मैं मॅ को कहा की मैं नहीं जानता हूँ की पापा कहाँ हैं. मैं मॅ की तरफ देख भी नहीं रहा था. मेरी आखें टीवी पर थी. शायद मॅ ने मुझ को और कुछ कहा लेकिन मैं कुछ नहीं सुन रहा था. अगला मिनिट जब मैं सिर गुमाया तो देखा कि मॅ पास नहीं हैं. वो कहीं गायब हो गयी थी. मैं बहुत डरने लगा. मेरा दिल बहुत तेज़ चल रहा था. मैं एक पाँच साल कि लड़का था. और मेरी मॅ मुझे छोर कर कहीं गयी थी. मैं मॅ को ढूँदने कि कोशिश की लेकिन मॅ कहीं भी नहीं थी. मैं रोने लगा. एक इंडियन परिवार मेरे पास में थी. एक लड़का मुझ को देख रहा था और देखा कि मैं रो रहा हूँ. वह मेरे करीब आया और पूछा कि मैं क्यों रो रहाहूँ. मैं उसको कहा कि मेरी मॅ गायब गई हैं. और मैं अकेला हूँ. लड़का चौक गया और उसको नहीं पता था कि हम क्या करे. उस समय मेरी मॅ सामने आई. वह भी बहुत डर रही थी, उसने समझा कि मैं गायब हो गया. इस दिन से मैं सीखा कि हमेशा अपने आस पास का द्यान रखना, कभी एक ही बात में घूम जाना अच्छा नहीं है.
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