सिद्दार्थ गौतम एक भारतीय ऋषि था जिनका दूसरा नाम "बुद्धा" था। उन्होंने बुद्ध धर्म शुरू किया। बुद्धा एक पवित्र आदमी था और उन्होंने बहुत ज़्यादे लोगो को इस दुनिया के बारे में सिखाया।
बुद्धा का जनम नेपाल में हुआ था। बुद्धा के पिता का नाम सुद्धोदना था और वह एक राजा था। बुद्धा की मौसी साथ बड़ा हुआ। जब बुद्धा सोल साल का था तब उनकी यशोधरा से शादी हुई। उनका एक बीटा भी था। बुद्धा ने उन्तीस साल के लिए एक युवराज जैसा बीता। लेकिन उनको दौलत या पैसा में कुछ हित नहीं था। इस लिए जब वह उन्नीस साल के थे, तब उन्होंने महल छोड़कर दुनिया देखने के लिए गए।
उनकी यात्रा में बुद्धा ने उनकी ज़िन्दगी में पहेली बार गरीब लोगो को देखा। इससे देखर उनको बहुत दुख लगा और इस लिए वोह एक तपस्वी बन गए। और एक
दिन बुद्धा एक पेड़ के निचे चिंतन कर रहा था और उनको सब कुछ समाज आ गए। उन्होंने बात की एहसास हुई की लोगो को ज़िन्दगी में एक "बीच का रास्ता" लेना चािहए। इसका मतलब की लोगो को बहुत ज़्यादि अतिभोगा नहीं होनी चािहए लेकिन उनको बहुत कम अतिभोगा भी नहीं होनी चािहए।
उनकी यात्रा में बुद्धा ने उनकी ज़िन्दगी में पहेली बार गरीब लोगो को देखा। इससे देखर उनको बहुत दुख लगा और इस लिए वोह एक तपस्वी बन गए। और एक
दिन बुद्धा एक पेड़ के निचे चिंतन कर रहा था और उनको सब कुछ समाज आ गए। उन्होंने बात की एहसास हुई की लोगो को ज़िन्दगी में एक "बीच का रास्ता" लेना चािहए। इसका मतलब की लोगो को बहुत ज़्यादि अतिभोगा नहीं होनी चािहए लेकिन उनको बहुत कम अतिभोगा भी नहीं होनी चािहए।
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